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Best Friend La Dhokyat Tevane

 Best Friend La Dhokyat Thevane

 हमारे सच्चे मित्र कौन-कौन हैं और मित्रों के वेश में शत्रु कौन-कौन है. मित्रों के वेश में छिपे शत्रु को पहचानना बहुत जरूरी है, अगर मित्रों में छिपे शत्रु को नहीं पहचान पाएंगे तो कार्यों में असफलता ही मिलेगी. 
कहते हैं कि वही व्यक्ति समझदार और सफल है, जिसे इस प्रश्न का उत्तर हमेशा मालूम रहता है. समझदार व्यक्ति जानता है कि वर्तमान समय कैसा चल रहा है और अभी सुख के दिन हैं या दुख के, इसी के आधार पर वह कार्य करता है.सच्चा मित्र वही हो सकता है जो विश्वसनीय हो। 

 क्रोधी व्यक्ति को अधिक क्रोध नहीं दिलाना चाहिए।   हमें ये मालूम  होना चाहिए

आपका हमेशा खुश रहना आपके दुश्मनों के लिए सबसे बड़ी सजा है।


संसार में कई तरह की प्रवृत्ति के लोग वास करते हैं, हमें उनमें से सज्जन पुरुषों से ही सम्पर्क बनाना चाहिए, हमें सफलता सज्जन-पुरुषों की संगति से ही प्राप्त हो सकती है।

जिस पिता का पुत्र आज्ञाकारी हो, पत्नी अनुकूल आचरण वाली और पतिव्रता हो, जो मेहनत से प्राप्त धन से ही संतुष्ट हो, ऐसा व्यक्ति इस संसार में ही स्वर्ग-सा सुख अनुभव करता है। अर्थात् संतोषी सदा सुखी।

भूख के समान कोई दूसरा शत्रु नहीं है।

जो अस्वच्छ कपडे पहनता हो। जिसके दांत साफ़ नहीं हैं। जो बहुत खाता हो। जो कठोर बोलता हो। जो सूर्योदय के बाद उठता हो।……उसका कितना भी बड़ा व्यक्तित्य क्यों न हो, वह लक्ष्मी की कृपा से वंचित रह जायेगा।

मूर्ख लोगों से कभी वाद-विवाद नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से हम अपना ही समय नष्ट करते है.

सोने के साथ मिलकर चांदी भी सोने जैसी दिखाई पड़ती है अर्थात सत्संग का प्रभाव मनुष्य पर अवश्य पड़ता है।

किसी भी व्यक्ति की वर्तमान स्थिति को देखकर उसका मजाक न उड़ाओ, क्योकि कल में इतनी शक्ति होती हैं कि वह एक मामूली कोयले के टुकड़े को भी हीरे में तब्दील देता हैं

जिस प्रकार जन्म से अंधा व्यक्ति कुछ नहीं देख सकता, ठीक उसी  प्रकार काम व क्रोध नशे में चूर व्यक्ति इसके सिवा और कुछ नहीं देखता है। वहीं स्वार्थी व्यक्ति भी किसी में कोई दोष नहीं देखता है। उसके लिए सभी एक समान है. इसलिए जो व्यक्ति स्वार्थ में लिप्त है उससे कभी दोस्ती नहीं रखनी चाहिए।

शराबी व्यक्ति का कोई कार्य पूरा नहीं होता है।

एक संयमित मन के समान कोई तप नहीं. संतोष के समान कोई सुख नहीं. लोभ के समान कोई रोग नहीं.जो जिस कार्ये में कुशल हो, उसे उसी कार्ये में लगना चाहिए।

मुझे वह दौलत नहीं चाहिए जिसके लिए कठोर यातना सहनी पड़े, या सदाचार का त्याग करना पड़े या फिर अपने शत्रु की चापलूसी करनी पड़े 


जिसमें गुण और धर्म हैं, वही मनुष्य जीवित माना जाता है। गुण और धर्म से रहित मनुष्य का जीवन व्यर्थ है।

 कहते हैं कि जब मेहनत के बाद भी कामयाबी न मिले तो उस पर रोने की बजाय आत्मचिंतन करें कि आखिर कहां कमी रह गई थी. उन कमियों पर काम कर लिया तो अगली बार सफलता खुद आपका दरवाजा खटखटाएगी. इसके लिए जरूरी है धैर्य और आत्मविश्वास. जब बुरा वक्त चल रहा हो तो ये दोनों ही सबसे बड़ी ताकत होती. धैर्य रखेंगे तो कमियों को खूबियों में बदलने समझ रख पाएंगे

 
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